Monday, February 28, 2011

ते  सोनेरी  सूर्य  किरण  अजून  हि  त्या  दवा  बरोबर  खेळतात ,
निघून  गेलेले  ते   काही  सुंदर  क्षण  जीवनातील,
पुन्हा  पुन्हा  का   मनाला   ओढ  लावतात, 
मैत्रीचे  बंध  नेहमीच  रेश्मा  सारखे  नाजूक  असतात , पण  ते  अतूट  असतात.
ते  सूर  जे  छेडले  नाही  कधी  तुझ्या  त्या  ओठांनी ,
 ते  आज  का बरसत  आहे  पाऊस  रुपी  थेंबानी.
बरसलेला  मेघ  आज  तुझी  आठवण  घेऊन  आला,
न  क्षणभर  विसरलो  मी  तुला,
 तरी  हि तुझीच  एक  नवी  आठवण  ठेवून  गेला.
शब्दही  मुके  होऊन  खूप  काही  बोलून  जातात,
नयनातील  भाव  हि  हृदयात  खूप  आठवणी  ठेवून  जातात.
त्या नयनाच्या पापण्या का अलगद खाली जातात,
अन का नकळत दोन मन एकमेकांचे होऊन जातात.
हरवून  गेलेल्या  त्या  काही  क्षणांना,
मी  अजूनहि  शोधत  आहे ,
नाही म्हणते  मंन  तरी  हि,
का  नयन  तिलाच  शोधत  आहे.
पावसामध्ये  मी  हि  तिच्या  वाट्याचे  ४ थेंब  माझ्या  हातावर  घेतो  आणि  ती जवळ  नाही  म्हणून  माझ्या अश्रुनी  ती  हाताची  ओंजळ  भरू  पाहतो.
दूर असूनहि ती ,मी तिला हृदयात बसवू पाहतो.
एकांतात मी नेहमी का इतका हलवा होऊन जातो?
ते आमच्या भेटीचे क्षण मी मनात साठवून ठेवतो,
ती नसल्यावर त्या वरच मी जीवन जगतो.
प्रत्येक  थेंब  अन  थेंब  पावसाचा ,
तुझ्या  माझ्या  साठीच  असेल ,
नसतानाही  आपण , तो सांग एकटाच  कसा  बरसेल .
तान्हाईन  मे  हि  ये  जिंदगी  अब  बित  जानी  हैं,
कई  आंसू  गिराने  अभी  बाकी  हीन,
और  कई  राते  जागकर बितानी  हैं.
ती पहिली  श्रावण  धार,
मी  तिचाच  तो  मोर,
भिजलेला  निसर्ग , आणि  वारे  ते  गार,
येण्यास  आतुर  आहे  प्रीतीला आपल्या  बहार.
दूर  जाकर  भी  हम  उन्हे  भूल  न  पाये,
ये  तनहासा  जिंदगी  का  सफर, हम  अब  काट  न  पाये,
याद  तुम्हारी  अब  बडा  हि  तडपाती  हैं,
तू नही ये यहा  ये  मालूम  होते  हुये  भी,
मेरी  धडकन  तुझे  आवाज  लागती  हैं .
रुठ्ने  के  सो  बहाणे  हैं,
मुस्कुराने  के  लिये  एक  बहाणा  नही  मिलता,
ख्वाहिशे  हजार  हैं  लेकीन,
वो  पुरी  कारे  ऐसा  कोई  नही  मिलता.
मी  चंद्र  पौर्णिमेचा  तू  ग  माझी  चांदणी,
सजली  प्रीत  आपली  अनेक  चांदण्यांनी,
पण  का  कुणास  ठाऊक  मी  उदास  होतो,
तुझा  विरह  होईल  ह्या अमावासेला, म्हणून  लहान  होत  जातो.
स्वप्नांना  हि  माझ्या  आता  तुझी  सवय  झाली,
तू  दिसत  नसल्यावर  माझी  झोप  हि  पूर्ण  होत  नाही,
त्या  उघडलेल्या  डोळ्यांनीही  तुझीच  वाट  पाहतो,
आणि  तू  दिसल्यावर मी प्रेम गीत गातो .
आठवणी येतात  व्याकुळ  करून  जातात,
नयनांतील  अश्रुना  हळूच  नयना  बाहेर  धक्का  देतात,
तरी  त्या  मनाला  सुखावून  जातात,
नसलेला  आपल्या  माणसाना  आपल्या  जवळ  करून  जातात.
मंन उदास  झाल  कि मी  असाच  काही  तरी  लिहितो,
नकळत  तू  नसतानाही  तुलाच  पाहतो ,
नंतर  मला  जाणवते, तू  तर  इथे  नाही,
म्हणून  मी पुन्हा  उदास  होऊन  जातो.
बारीश  के  मौसम  में  हम  तुम्हे याद  करते  है,
हर  बारीश  कि   बुंद  को  तेरा  प्यार  समाज  के  पल्कोन  पे  झेलते  है.
इन्ही अदावोने आपकी हमे, 
दिवाना  किया है,
कोई केह दे उनसे, कि इन आंसूवोने उनको याद  किया है.
कैई  दिन गुजर  गये  है  और  की  राते,
कोई  उनसे  कहता  क्यून  नाही,
कि  उनके  बिना,
हुमे  जिने  के  बहाणे नही आते.
रूठ  कर  इतने  हमसे  वो  दूर  हो  गये,
दिल मे  दर्द  और  आंखो  मे आंसू  दे  गये,
एकहि  फिर्याद  है अब दिल,
वो  जहा  है  वाह  खुश  रहे.

अब तो ...

हर  कोशिश  अब  बेमतलबसी  लगती है,
ये  जिंदगी  अब  गलती  लगती  है,
जो  थोडीसी  उमीद  बाकी  थी,
वो  भी  अब  रेत  पार  लिखी  हुई  कहाणी  लगती  है.

माहित  नाही मला,
मी  इतका  तुझ्यासाठी  व्याकुळ  का  होतो,
नसतानाही  तू  का तुलाच  पाहतो ,
हरवलेल्या त्या  क्षणांना  मी  का  उगाच  आठवू  पाहतो .



तुटलेल्या  मनांना  हि  आम्ही  सावरतो,
नकळत  वाहणाऱ्या  अश्रुना  हि  आम्ही  थांबवतो,
पण  नाही विसरता  येत  आम्हाला  तुझ्या  त्या  आठवणी,
तुझे ते  भारावून  टाकणारे  डोळे  आणि  तुझी ती हसंरी  होटांची कळी .

आठवण

बरसलेला  मेघ  आज  तुझी  आठवण  घेऊन  आला,
ना क्षणभर  विसरलो  मी  तुला, तरी  हि  तुझीच  एक नवी  आठवण  ठेवून  गेला .

तू

तू दूर असल्यावर मंन अगदी व्याकुळ होते, नयनातील अश्रू हि मेघ बनून बरसत होते. नाही राहवत एक क्षणहि तुझ्या विना आता
 माझे हे जीवन तू नसताना मला नकोसे होते